नई दिल्ली: दुनिया में अब तक 1,87,200 टन सोना खदानों से निकाला जा चुका है। दुनिया में सोने की सबसे बड़ी खदानें दक्षिण अफ्रीका में हैं। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहली बार इन खदानों के बारे में पता तब चला जब 1885 में एक ऑस्ट्रेलियाई मजदूर जॉर्ज हैरिसन ने जोहानिसबर्ग में घर बनाने के लिए खुदाई शुरू की। उसी दौरान जॉर्ज को सोने की खदानों का पता चला। इससे पहले रोम के महान राजा जूलियस सीजर ने गॉल की लड़ाई में जीत हासिल करने पर अपने हर सैनिक को 200-200 सोने के सिक्के दिए थे। आज के दौर में दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का 2012 में ऑस्ट्रेलिया के पर्थ मिंट बनाया गया था। इसका वजन 1 टन है और इसका डायमीटर 80 सेंटीमीटर है। दरअसल, मौजूदा दौर में इजरायल-हमास जंग, रूस-यूक्रेन जंग और बेहिसाब बढ़ती महंगाई ने पूरी दुनिया पर असर डाला है, जिससे सोने के भाव आसमान छू रहे हैं। इन दिनों दुनिया के कई देशों के केंद्रीयकृत बैंक डॉलर से ज्यादा गोल्ड पर भरोसा जता रहे हैं और धड़ाधड़ सोने में निवेश कर रहे हैं। चीन समेत कई देश ऐसे हैं, जो बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं और डॉलर पर अपनी निर्भरता घटा रहे हैं। दरअसल, सोना दशकों से भारत समेत दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने में मददगार रहा है। जब डॉलर का मूल्य गिरता है तो सोने के भाव आसमान चढ़ने लगते हैं। निवेशकों को सोने पर कुछ ज्यादा ही भरोसा इसीलिए होता है, क्योंकि डॉलर जब भी डूबने-उतराने लगता है तो सोना ही निवेशकों की नैया पार लगाता है। आज इसी सोने के दिलचस्प सफर के बारे में जानते हैं।स्टॉक मार्केट में गोल्ड ने तब कदम रखा, जब दुनिया विश्वयुद्ध से जूझ रही थी
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पूरी दुनिया में बाजार को चलाने के लिए गोल्ड ही सहारा बना था। गोल्ड स्टैंडर्ड सिस्टम लाया गया, जिसके मुताबिक, सभी देश अपनी करेंसी को गोल्ड में आंकते थे। तय कीमतों पर घरेलू मुद्राओं को आसानी से गोल्ड में बदला जा सकता था। तब सोने के आयात या निर्यात पर कोई रोक-टोक भी नहीं थी। दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध के दलदल में फंस चुकी थी। ऐसे में सोने को लेकर ऊहा-पोह की स्थिति बन गई। उस समय एक नए इंटरनेशनल सिस्टम की जरूरत महसूस हुई। 1944 में अमेरिका की अगुवाई में दुनिया के सभी सहयोगी देशों की वॉशिंगटन के ब्रेटन वुड्स में कॉन्फ्रेंस हुई। दूसरे विश्वयुद्ध से ही यह तय हो गया था कि अब से दुनिया पर ब्रिटेन नहीं अमेरिका राज करेगा। जंग लड़ने के लिए उस वक्त दुनिया के तकरीबन सभी बड़े देशों को अमेरिका ने कर्जे बांट रखे थे। ऐसे में किसी के कोई चूं-चपड़ करने या सवाल उठाने का कोई मतलब ही नहीं था। ब्रेटन वुड्स कॉन्फ्रेंस में ही यह तय हुआ कि अब से सोना नहीं डॉलर अर्थव्यवस्था के केंद्र में होगा। तब से बाजार में डॉलर से सब कुछ तय हो रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 6,700 टन गोल्ड को 5,30,000 सोने की ईंटों में रखा है। इससे पहले 1973 में रिकॉर्ड 12,000 टन सोना रिजर्व रखा गया था।
समुद्रों में भी अटा पड़ा है सोना ही सोना
धरती पर कोई ऐसा महाद्वीप नहीं है, जहां सोना न हो। यहां तक कि सभी समुद्रों में सोना भरा पड़ा है। अनुमान के अनुसार, दुनिया के सारे महासागरों में करीब 2 करोड़ टन सोना भरा पड़ा है। हर 100 मिलियन मीट्रिक टन समुद्री पानी में 1 ग्राम सोना पाया जाता है। अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागरों में सोना पाए जाने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
हीरे से भी दुर्लभ है सोना, पर सबसे महंगा नहीं
सोने को हीरे से भी दुर्लभ माना जाता है। दरअसल, हीरा कार्बन से बनता है, जो पूरी धरती पर है। वहीं सोना धरती के ऊपरी सतह पर बहुत ही मामूली रूप से पाया जाता है। धरती के ऊपरी सतह के प्रति 100 करोड़ हिस्से में से महज 4 हिस्सा ही सोना है। अगर भूकंप आते हैं तो सोने की बनने की संभावना बढ़ जाती है। धरती के क्रस्ट में छोटे-छोटे गड्ढे बन जाते हैं, जिसमें सोने और सिलिकेट मिनरल्स लिक्विड के रूप में भर जाते हैं। यही सोना बनाते हैं। सोना भले ही दुर्लभ धातु है, मगर यह सबसे महंगी धातु नहीं है। धरती पर सबसे महंगी धातु पैलेडियम और रोडियम हैं। सोने की कीमत मांग के अनुसार बढ़ती-घटती रहती है।
धरती पर छोटे-छोटे आसमानी पिंडों के टकराने से बना सोना
1215diamonds.com पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 20 करोड़ साल पहले जब धरती पर क्षुद्र गहों की बमबारी हो रही थी यानी वे धरती से टकराकर गिर रहे थे, तब सोने का जन्म हुआ। धरती का कोर और उसका आवरण यानी मैंटल में सोना पाया गया है। दुनिया में इकलौता सोना ही जो नेचुरल रूप से सुनहरा होता है। दूसरी धातुओं में यह कलर विकसित करना पड़ता है। अगर सोने में कोई मिलावट की जाती है तो इसका सुनहरा रंग करीब-करीब सफेद हो जाता है।
सोना नोबेल मेटल, यानी न चमक खोए न ही जंग लगे
bullionbypost पर छपी एक रिसर्च के अनुसार, सोना नोबेल मेटल है। इसका मतलब यह है कि यह कभी अपनी चमक नहीं खोता है और न ही इस पर जंग लगती है। जंग लगने का मतलब यह है कि हाइड्रेटेड मेटल ऑक्साइड। यह तब होता है, जब कोई धातु ऑक्सीजन या पानी से क्रिया करता है। इस रिएक्शन को ऑक्सीडाइजिंग। सोने जैसी प्योर धातु ऑक्सीजन से रिएक्ट नहीं करती है। इसी वजह से इसे नोबेल मेटल कहा जाता है। अगर सोने के सिक्के या ईंटों पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं तो इसका मतलब यह है कि इसमें कॉपर या सिल्वर मिला होता है। प्योर गोल्ड 24 कैरेट का होता है, जो 1000 में 999.9 हिस्सा गोल्ड होता है। यानी 0.01 हिस्सा कोई और मेटल होगा। चूंकि गोल्ड इतनी लचीली धातु है कि इससे आभूषण या सिक्के नहीं बनाए जा सकते हैं। इसमें सख्ती लाने के लिए कॉपर या सिल्वर जैसी कोई दूसरी धातु मिलाई जाती है।
सोने में निवेश का बेहतरीन समय कब, यहां जानेंसोने का आकलन करने वाली वेबसाइट गोल्डसिल्वर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोने में निवेश का कोई साइंस नहीं है। सोने की खरीद का सबसे बेहतर समय जनवरी की शुरुआत, मार्च और शुरुआती अप्रैल है। इसके बाद जून से लेकर शुरुआती जुलाई में सोना खरीदना ज्यादा बेहतर माना जाता है। बुलियन डीलर और सर्विसेज कंपनी ने यह आकलन 1975 से लेकर 2021 के बीच हर दिन सोने के भाव के आधार पर किया है। भारत में भी सोना हर घर की पसंद है। सोने में निवेश यहां पर पारंपरिक तौर पर गहने बनवाकर ही किए जाते रहे हैं। अक्षय तृतीया, धनतेरस, दिवाली जैसे पर्व पर सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता रहा है।
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